My Blog List

चलो शिव-शंभू के धाम

कैलास-मानसरोवर यात्रा आज से दिल्ली से शुरू हो रही है। कैलास पर्वत को ही भगवान शिव का धाम माना जाता है। वहां तक पहुंचने की इस यात्रा में होता है आस्था, आध्यात्मिकता और रोमांच का समागम..

कैलास मानसरोवर यात्रा में हुई अनुभूति का शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। कैलाश पर्वत की परिक्रमा के दौरान मन पर्वत की नैसर्गिकता और दिव्यता से जुड़ जाता है। श्रद्धापूरित मन जैसा स्मरण करता है, शिवमय यह पर्वत उसे वैसा ही रूप दिखा देता है।'- पिछले वर्ष 2010 में कैलास-मानसरोवर की यात्रा पर गए महंत केशव गिरि इस यात्रा से अभिभूत होकर अपनी अनुभूति इस प्रकार व्यक्त करते हैं। वे कहते हैं, 'यह यात्रा बेशक लंबी और काफी कठिन मार्गो से होकर गुजरती है, लेकिन यह मन को आनंदित करने वाली होती है।' जून से सितबर तक चलने वाली इस यात्रा में सैकड़ों यात्री तिब्बत पहुंचकर आराध्य महादिदेव शिव के धाम का दर्शन करते हैं। कैलास-मानसरोवर यात्रा मात्र आस्था ही नहीं, बल्कि यात्रा के रोमांच के लिए भी प्रसिद्ध है। दो देशों द्वारा संचालित होने वाली इस यात्रा में देश के विभिन्न प्रांतों से लोग एक-साथ इस यात्रा पर जाते हैं, इसलिए उनके बीच भाईचारा भी बढ़ता है। मान्यता है कि कैलास-मानसरोवर शिव का धाम है। विचारक बीडी कसनियाल कहते हैं, 'ध्यान और तप के देवता शिव हैं। शिव के अनुयायी मुक्ति का मार्ग ध्यान और तपस्या को ही मानते हैं। पूरा हिमालय शिव की भूमि है। कैलास पर्वत को ही उनका आवास माना जाता है।'

भगवान शिव का धाम कैलास-मानसरोवर तिब्बत में पड़ता है। तिब्बत इस समय चीन के आधिपत्य में है। जिस कारण यात्रियों को पासपोर्ट, वीजा, स्वास्थ्य परीक्षण जैसी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।

इस धार्मिक यात्रा का जिम्मा कुमाऊं मंडल विकास निगम को दिया गया है। यात्रा दिल्ली से शुरू होकर काठगोदाम, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ होते हुए आधार शिविर धारचूला पहुंचती है। जहां से दो घंटे की यात्रा वाहन से करने के बाद यात्रा के पैदल पड़ाव तय किए जाते हैं। इन पड़ावों पर याक पशु भी किराये पर किया जा सकता है। प्रत्येक यात्री को दिल्ली और गुंजी पड़ाव पर स्वास्थ्य परीक्षण से गुजरना होता है। सफल यात्री ही कैलाश-मानसरोवर के दर्शन कर पाते हैं। कैलाश-मानसरोवर की परिक्रमा का जिम्मा चीन सरकार का रहता है। परिक्रमा कर वापस दिल्ली लौटने में 28 दिन का समय लगता है।

चलो शिव-शंभू के धाम

कैलास-मानसरोवर यात्रा आज से दिल्ली से शुरू हो रही है। कैलास पर्वत को ही भगवान शिव का धाम माना जाता है। वहां तक पहुंचने की इस यात्रा में होता है आस्था, आध्यात्मिकता और रोमांच का समागम..

कैलास मानसरोवर यात्रा में हुई अनुभूति का शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। कैलाश पर्वत की परिक्रमा के दौरान मन पर्वत की नैसर्गिकता और दिव्यता से जुड़ जाता है। श्रद्धापूरित मन जैसा स्मरण करता है, शिवमय यह पर्वत उसे वैसा ही रूप दिखा देता है।'- पिछले वर्ष 2010 में कैलास-मानसरोवर की यात्रा पर गए महंत केशव गिरि इस यात्रा से अभिभूत होकर अपनी अनुभूति इस प्रकार व्यक्त करते हैं। वे कहते हैं, 'यह यात्रा बेशक लंबी और काफी कठिन मार्गो से होकर गुजरती है, लेकिन यह मन को आनंदित करने वाली होती है।' जून से सितबर तक चलने वाली इस यात्रा में सैकड़ों यात्री तिब्बत पहुंचकर आराध्य महादिदेव शिव के धाम का दर्शन करते हैं। कैलास-मानसरोवर यात्रा मात्र आस्था ही नहीं, बल्कि यात्रा के रोमांच के लिए भी प्रसिद्ध है। दो देशों द्वारा संचालित होने वाली इस यात्रा में देश के विभिन्न प्रांतों से लोग एक-साथ इस यात्रा पर जाते हैं, इसलिए उनके बीच भाईचारा भी बढ़ता है। मान्यता है कि कैलास-मानसरोवर शिव का धाम है। विचारक बीडी कसनियाल कहते हैं, 'ध्यान और तप के देवता शिव हैं। शिव के अनुयायी मुक्ति का मार्ग ध्यान और तपस्या को ही मानते हैं। पूरा हिमालय शिव की भूमि है। कैलास पर्वत को ही उनका आवास माना जाता है।'

भगवान शिव का धाम कैलास-मानसरोवर तिब्बत में पड़ता है। तिब्बत इस समय चीन के आधिपत्य में है। जिस कारण यात्रियों को पासपोर्ट, वीजा, स्वास्थ्य परीक्षण जैसी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।

इस धार्मिक यात्रा का जिम्मा कुमाऊं मंडल विकास निगम को दिया गया है। यात्रा दिल्ली से शुरू होकर काठगोदाम, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ होते हुए आधार शिविर धारचूला पहुंचती है। जहां से दो घंटे की यात्रा वाहन से करने के बाद यात्रा के पैदल पड़ाव तय किए जाते हैं। इन पड़ावों पर याक पशु भी किराये पर किया जा सकता है। प्रत्येक यात्री को दिल्ली और गुंजी पड़ाव पर स्वास्थ्य परीक्षण से गुजरना होता है। सफल यात्री ही कैलाश-मानसरोवर के दर्शन कर पाते हैं। कैलाश-मानसरोवर की परिक्रमा का जिम्मा चीन सरकार का रहता है। परिक्रमा कर वापस दिल्ली लौटने में 28 दिन का समय लगता है।

जीवनदायिनी गंगा

गंगा दशहरा 2 जून से प्रारंभ हो रहा है। जिस गंगा के अवतरण के लिए सगर और भगीरथ के बीच की पांच पीढि़यों ने हजारों वर्र्षो का कठिन तप किया, उस जीवनदायिनी गंगा को हम इस अवसर पर बचाने का संकल्प लें..

भारतीय सस्कृति और जीवन-दर्शन में गगा का स्थान अनन्य है। ढाई हजार किलोमीटर के वृहद प्रक्षेत्र में प्रवाहित होती हुई वह सबधित इलाकों का तो सीधे भरण-पोषण कर ही रही है, इसके अतिरिक्त पूरे भारत के असख्य लोगों के हृदय में प्राण-धारा बनकर प्रवाहित हो रही है। इसे दुखद कहा जाएगा कि हमारी ही लापरवाही से आज गगा की धारा कमजोर और प्रदूषित हो चली है। निश्चय ही गगा के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति का सबसे सही तरीका यही होगा कि हम गगा को प्रदूषण-मुक्त करने और बचाने का दृढ़ सकल्प लें।

गगा का धरती पर अवतरण ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हुआ था। इसी तिथि को गगा दशहरा मनाने की परंपरा है। काशी में तो गगा दशहरा एक लोक-पर्व के रूप में लोकप्रिय रहा है। इस अवसर पर कन्याएं गुड्डे-गुडियों का विवाह रचाती हैं और उनका दीप-पुष्पादि के साथ विसर्जन कर देती हैं। वैसे तो सभी घाटों पर इसकी धूम रहती है, किंतु दशाश्वमेध घाट व पचगगा घाट पर विशेष गहमागहमी रहती है। सुखी दांत्पत्य जीवन की कामना के साथ ही लोक मानस से गगा का जुड़ाव इसका उद्देश्य है। मान्यता है कि इस अवसर पर गगा स्नान करने से मानसिक, वाचिक और कायिक दसों दोष नष्ट हो जाते हैं। मानसिक मैल माने गए हैं- पराया धन हड़पने का विचार, दूसरे का अहित सोचना और नास्तिकता, जबकि वाचिक मैल हैं- कटु सभाषण, मिथ्या सभाषण और परनिदा। शारीरिक क्रिया-दोष माने गए हैं- व्यर्थ सभाषण, शास्त्र द्वारा वर्जित हिंसा, चोरी और अनैतिक सबध।

गगा का धरा पर अवतरण भगीरथ के तप से हुआ है, यह तो सबको पता है किंतु कम ही लोग जानते होंगे कि इसके पीछे अकेले उनकी ही तपस्या नहीं थी। महाराज सगर और भगीरथ के बीच की पाच पीढि़यों ने हजारों साल तक तपस्या की थी, तब जाकर गगा धरती पर आई थीं। कथा है कि महाराज सगर ने अश्वमेध यज्ञ कराया था। वह सत्यवादी हरिश्चंद्र की आठवीं पीढ़ी के महाराजा थे। सगर का अश्वमेध यज्ञ ऐसा प्रभावशाली हुआ कि इंद्र का सिहासन डोल गया। वह भागते हुए पृथ्वी पर आए और उन्होंने सगर के अश्वमेध यज्ञ के छूटे हुए घोड़े को पकड़कर कपिल मुनि के आश्रम में बाध दिया। सगर के साठ हजार पुत्र अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा खोजते हुए आश्रम तक पहुंचे। उन लोगों ने मुनि को ही दोषी समझ लिया। समाधि में लीन मुनि के साथ भी दु‌र्व्यवहार करने लगे। आश्रम में भारी उत्पात मचाते रहे। अंतत: कपिल मुनि की समाधि टूट गई। उन्होंने कुपित होकर ज्यों ही दृष्टि खोली, अग्नि की धारा भभक उठी। पल भर में सगर के सभी साठ हजार पुत्र भस्म हो गए!

अपने पुत्रों की मुक्ति के लिए गगा को धरती पर उतारने हेतु स्वय महाराज सगर ने ही सबसे पहले तपस्या शुरू की। उनकी दूसरी पत्नी से भी एक पुत्र था असमंजस। तपस्या लबी खिंच रही थी, किंतु गगावतरण की कहीं कोई सभावना तक नहीं दिख रही थी। अंतत: महाराज सगर ने पुत्र असमजस को यह दायित्व सौंपा। उन्होंने सैकड़ों साल तक तप किया। सफलता दूर-दूर तक नहीं दिख रही थी। उन्होंने यह दायित्व अपने पुत्र अंशुमान, जिन्हें खटवाग भी कहा जाता था, को सौंप दिया। अंशुमान ने भी सैकड़ों साल तप किया, किंतु गगा नहीं उतरीं। वार्धक्य सामने आ गया, तो अंशुमान ने अपने पुत्र दिलीप को तप-दायित्व सौंप दिया।

दिलीप ने तपस्या शुरू की। कथा में उल्लेख है कि दिलीप की तपस्या भी सैकड़ों साल चली। इसके बावजूद गगा प्रसन्न नहीं हुईं। अंतत: उन्होंने भी यह दायित्व अपने पुत्र भगीरथ को सौंप दिया। भगीरथ का तप शुरू हुआ। सैकड़ों साल चला, किंतु उनकी साधना बेकार नहीं गई। अंतत: गगा प्रसन्न हुईं और धरती पर अवतरित हो गईं। गगा ने भगीरथ के पुरखों को तार दिया। हजारों साल से गंगा लगातार भारत की करीब ढाई हजार किलोमीटर भूमि को सिचित और करोड़ों लोगों का भरण-पोषण कर रही है। गगा दशहरा पर हमें इसका महत्व समझना चाहिए और गंगा की रक्षा करने का दृढ़ सकल्प लेना चाहिए।

जीवनदायिनी गंगा

गंगा दशहरा 2 जून से प्रारंभ हो रहा है। जिस गंगा के अवतरण के लिए सगर और भगीरथ के बीच की पांच पीढि़यों ने हजारों वर्र्षो का कठिन तप किया, उस जीवनदायिनी गंगा को हम इस अवसर पर बचाने का संकल्प लें..

भारतीय सस्कृति और जीवन-दर्शन में गगा का स्थान अनन्य है। ढाई हजार किलोमीटर के वृहद प्रक्षेत्र में प्रवाहित होती हुई वह सबधित इलाकों का तो सीधे भरण-पोषण कर ही रही है, इसके अतिरिक्त पूरे भारत के असख्य लोगों के हृदय में प्राण-धारा बनकर प्रवाहित हो रही है। इसे दुखद कहा जाएगा कि हमारी ही लापरवाही से आज गगा की धारा कमजोर और प्रदूषित हो चली है। निश्चय ही गगा के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति का सबसे सही तरीका यही होगा कि हम गगा को प्रदूषण-मुक्त करने और बचाने का दृढ़ सकल्प लें।

गगा का धरती पर अवतरण ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हुआ था। इसी तिथि को गगा दशहरा मनाने की परंपरा है। काशी में तो गगा दशहरा एक लोक-पर्व के रूप में लोकप्रिय रहा है। इस अवसर पर कन्याएं गुड्डे-गुडियों का विवाह रचाती हैं और उनका दीप-पुष्पादि के साथ विसर्जन कर देती हैं। वैसे तो सभी घाटों पर इसकी धूम रहती है, किंतु दशाश्वमेध घाट व पचगगा घाट पर विशेष गहमागहमी रहती है। सुखी दांत्पत्य जीवन की कामना के साथ ही लोक मानस से गगा का जुड़ाव इसका उद्देश्य है। मान्यता है कि इस अवसर पर गगा स्नान करने से मानसिक, वाचिक और कायिक दसों दोष नष्ट हो जाते हैं। मानसिक मैल माने गए हैं- पराया धन हड़पने का विचार, दूसरे का अहित सोचना और नास्तिकता, जबकि वाचिक मैल हैं- कटु सभाषण, मिथ्या सभाषण और परनिदा। शारीरिक क्रिया-दोष माने गए हैं- व्यर्थ सभाषण, शास्त्र द्वारा वर्जित हिंसा, चोरी और अनैतिक सबध।

गगा का धरा पर अवतरण भगीरथ के तप से हुआ है, यह तो सबको पता है किंतु कम ही लोग जानते होंगे कि इसके पीछे अकेले उनकी ही तपस्या नहीं थी। महाराज सगर और भगीरथ के बीच की पाच पीढि़यों ने हजारों साल तक तपस्या की थी, तब जाकर गगा धरती पर आई थीं। कथा है कि महाराज सगर ने अश्वमेध यज्ञ कराया था। वह सत्यवादी हरिश्चंद्र की आठवीं पीढ़ी के महाराजा थे। सगर का अश्वमेध यज्ञ ऐसा प्रभावशाली हुआ कि इंद्र का सिहासन डोल गया। वह भागते हुए पृथ्वी पर आए और उन्होंने सगर के अश्वमेध यज्ञ के छूटे हुए घोड़े को पकड़कर कपिल मुनि के आश्रम में बाध दिया। सगर के साठ हजार पुत्र अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा खोजते हुए आश्रम तक पहुंचे। उन लोगों ने मुनि को ही दोषी समझ लिया। समाधि में लीन मुनि के साथ भी दु‌र्व्यवहार करने लगे। आश्रम में भारी उत्पात मचाते रहे। अंतत: कपिल मुनि की समाधि टूट गई। उन्होंने कुपित होकर ज्यों ही दृष्टि खोली, अग्नि की धारा भभक उठी। पल भर में सगर के सभी साठ हजार पुत्र भस्म हो गए!

अपने पुत्रों की मुक्ति के लिए गगा को धरती पर उतारने हेतु स्वय महाराज सगर ने ही सबसे पहले तपस्या शुरू की। उनकी दूसरी पत्नी से भी एक पुत्र था असमंजस। तपस्या लबी खिंच रही थी, किंतु गगावतरण की कहीं कोई सभावना तक नहीं दिख रही थी। अंतत: महाराज सगर ने पुत्र असमजस को यह दायित्व सौंपा। उन्होंने सैकड़ों साल तक तप किया। सफलता दूर-दूर तक नहीं दिख रही थी। उन्होंने यह दायित्व अपने पुत्र अंशुमान, जिन्हें खटवाग भी कहा जाता था, को सौंप दिया। अंशुमान ने भी सैकड़ों साल तप किया, किंतु गगा नहीं उतरीं। वार्धक्य सामने आ गया, तो अंशुमान ने अपने पुत्र दिलीप को तप-दायित्व सौंप दिया।

दिलीप ने तपस्या शुरू की। कथा में उल्लेख है कि दिलीप की तपस्या भी सैकड़ों साल चली। इसके बावजूद गगा प्रसन्न नहीं हुईं। अंतत: उन्होंने भी यह दायित्व अपने पुत्र भगीरथ को सौंप दिया। भगीरथ का तप शुरू हुआ। सैकड़ों साल चला, किंतु उनकी साधना बेकार नहीं गई। अंतत: गगा प्रसन्न हुईं और धरती पर अवतरित हो गईं। गगा ने भगीरथ के पुरखों को तार दिया। हजारों साल से गंगा लगातार भारत की करीब ढाई हजार किलोमीटर भूमि को सिचित और करोड़ों लोगों का भरण-पोषण कर रही है। गगा दशहरा पर हमें इसका महत्व समझना चाहिए और गंगा की रक्षा करने का दृढ़ सकल्प लेना चाहिए।

बॉक्स आफिस: छोटी फिल्मों में दर्शकों की रुचि

विपुल शाह की बरनाली राय शुक्ला निर्देशित 'कुछ लव जैसा' से उम्मीद नहीं थी कि वह बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों को खींच पाएगी और वही हुआ। राहुल बोस और शेफाली शाह की यह फिल्म औंधे मुंह गिरी। अच्छी बात है कि पिछले हफ्तों की फिल्मों में 'हाटेड' के साथ-साथ 'स्टेनली का डब्बा' और 'प्यार का पचनामा' भी अच्छा व्यवसाय कर रही हैं। 'रागिनी एमएमएस' भी हिट की ओर बढ़ रही है। छोटी फिल्मों की कामयाबी ने निर्माताओं को नए टैलेंट के प्रति भरोसा दिया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि नए विषयों पर नए चेहरों के साथ फिल्में आती रहेंगी।

बॉक्स आफिस: छोटी फिल्मों में दर्शकों की रुचि

विपुल शाह की बरनाली राय शुक्ला निर्देशित 'कुछ लव जैसा' से उम्मीद नहीं थी कि वह बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों को खींच पाएगी और वही हुआ। राहुल बोस और शेफाली शाह की यह फिल्म औंधे मुंह गिरी। अच्छी बात है कि पिछले हफ्तों की फिल्मों में 'हाटेड' के साथ-साथ 'स्टेनली का डब्बा' और 'प्यार का पचनामा' भी अच्छा व्यवसाय कर रही हैं। 'रागिनी एमएमएस' भी हिट की ओर बढ़ रही है। छोटी फिल्मों की कामयाबी ने निर्माताओं को नए टैलेंट के प्रति भरोसा दिया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि नए विषयों पर नए चेहरों के साथ फिल्में आती रहेंगी।

नयी रिलीज: रेडी

टी सीरीज निर्मित एव अनीस बज्मी निर्देशित 'रेडी' प्रेम और सजना की लवस्टोरी के इर्द-गिर्द घूमती रोमाटिक कॉमेडी है। भडारी खानदान इकलौता वारिस है प्रेम। विदेश से लौटी सजना से पहली नजर में प्रेम को मुहब्बत हो जाती है। सजना के पैरेंट्स उसके नाम बहुत बड़ी प्रापर्टी छोड़कर गए हैं, जिसे उसके लालची मामा हथियाना चाहते हैं। वह सजना की शादी अपने साले से कराना चाहते हैं। सजना को पाने के लिए प्रेम एक नाटक खेलता है। इसमें उसका साथ देते हैं खुद उसके पिता राजवीर। इस क्रम में सजना से छुटकारा पाने के लिए मामा प्रेम से उसकी शादी करने का फैसला करते हैं, पर शादी से ठीक पहले सच सामने आ जाता है। मुख्य भूमिका में सलमान और असिन के अलावा अन्य कलाकार हैं आर्य बब्बर, परेश रावल। गीत लिखे हैं अमिताभ भत्रचार्य, नीलेश मिश्रा, आशीष पडित, कुमार ने एव सगीतकार हैं प्रीतम, देवी श्री प्रसाद।

नयी रिलीज: रेडी

टी सीरीज निर्मित एव अनीस बज्मी निर्देशित 'रेडी' प्रेम और सजना की लवस्टोरी के इर्द-गिर्द घूमती रोमाटिक कॉमेडी है। भडारी खानदान इकलौता वारिस है प्रेम। विदेश से लौटी सजना से पहली नजर में प्रेम को मुहब्बत हो जाती है। सजना के पैरेंट्स उसके नाम बहुत बड़ी प्रापर्टी छोड़कर गए हैं, जिसे उसके लालची मामा हथियाना चाहते हैं। वह सजना की शादी अपने साले से कराना चाहते हैं। सजना को पाने के लिए प्रेम एक नाटक खेलता है। इसमें उसका साथ देते हैं खुद उसके पिता राजवीर। इस क्रम में सजना से छुटकारा पाने के लिए मामा प्रेम से उसकी शादी करने का फैसला करते हैं, पर शादी से ठीक पहले सच सामने आ जाता है। मुख्य भूमिका में सलमान और असिन के अलावा अन्य कलाकार हैं आर्य बब्बर, परेश रावल। गीत लिखे हैं अमिताभ भत्रचार्य, नीलेश मिश्रा, आशीष पडित, कुमार ने एव सगीतकार हैं प्रीतम, देवी श्री प्रसाद।

3डी में रा. वन

शाहरुख खान की योजना होम प्रोडक्शन की अपनी महत्वाकाक्षी फिल्म 'रा.वन' को 3डी तकनीकी से सुसज्जित करने की है। शाहरुख के अनुसार, 'रा.वन' के कुछ सीन 3डी में हो सकते हैं। प्राइम लैब 'रा.वन' के 3डी पक्ष पर काम कर रहा है। दरअसल, 3डी तकनीकी में फिल्म बनाने के लिए खास कैमरे और विशेष कैमरा एंगल से शूटिंग करनी पड़ती है। हम 'रा.वन' को पोस्ट प्रोडक्शन में 3डी में ढालने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ सीन को लेकर एक टेस्ट किया जा रहा है। यदि हमें लगा कि 3डी में 'रा.वन' अच्छी लग रही है तो दर्शक फिल्म के कुछ सीन 3डी में देखेंगे।'

शाहरुख खान की सुपरहीरो फिल्म 'रा.वन' पिता-पुत्र की भावनात्मक कहानी है। शाहरुख के अनुसार, 'हिंदी फिल्मों में मा-बेटे के रिश्ते पर ज्यादा फिल्में बनी हैं। 'रा.वन' देखने के बाद सभी फादर खुश होंगे। यह पिता-पुत्र की कहानी है।' 'रा.वन' में शाहरुख के किरदार का नाम जी.वन है। रा.वन फिल्म का खल चरित्र है।

'रा.वन' फिल्म दीवाली पर प्रदर्शित होने की सभावना है। शाहरुख जानकारी देते हैं, 'फिल्म पूरी होने में अभी दो-तीन महीने लगेंगे। एक सीन शूट किया जाना बाकी है। वैसे 'रा.वन' का पहला ट्रेलर रिलीज हो चुका है।

3डी में रा. वन

शाहरुख खान की योजना होम प्रोडक्शन की अपनी महत्वाकाक्षी फिल्म 'रा.वन' को 3डी तकनीकी से सुसज्जित करने की है। शाहरुख के अनुसार, 'रा.वन' के कुछ सीन 3डी में हो सकते हैं। प्राइम लैब 'रा.वन' के 3डी पक्ष पर काम कर रहा है। दरअसल, 3डी तकनीकी में फिल्म बनाने के लिए खास कैमरे और विशेष कैमरा एंगल से शूटिंग करनी पड़ती है। हम 'रा.वन' को पोस्ट प्रोडक्शन में 3डी में ढालने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ सीन को लेकर एक टेस्ट किया जा रहा है। यदि हमें लगा कि 3डी में 'रा.वन' अच्छी लग रही है तो दर्शक फिल्म के कुछ सीन 3डी में देखेंगे।'

शाहरुख खान की सुपरहीरो फिल्म 'रा.वन' पिता-पुत्र की भावनात्मक कहानी है। शाहरुख के अनुसार, 'हिंदी फिल्मों में मा-बेटे के रिश्ते पर ज्यादा फिल्में बनी हैं। 'रा.वन' देखने के बाद सभी फादर खुश होंगे। यह पिता-पुत्र की कहानी है।' 'रा.वन' में शाहरुख के किरदार का नाम जी.वन है। रा.वन फिल्म का खल चरित्र है।

'रा.वन' फिल्म दीवाली पर प्रदर्शित होने की सभावना है। शाहरुख जानकारी देते हैं, 'फिल्म पूरी होने में अभी दो-तीन महीने लगेंगे। एक सीन शूट किया जाना बाकी है। वैसे 'रा.वन' का पहला ट्रेलर रिलीज हो चुका है।

ढिंक चिका.. सलमान

अमूमन दूसरे फिल्म स्टार जहा माइकल जैक्सन जैसे डासिग आइकॉन की तरह डास करने के प्रयास में रहते हैं, वहीं सलमान खान को अपने प्रशसकों की फिक्र रहती है। सलमान खान के निजी कोरियोग्राफर मुदस्सर खान का यह अनुभव इस बात को साबित करता है। मुदस्सर 'रेडी' फिल्म के गीत ढिंक-चिका.. के लिए एक बेहद फास्ट स्टेप सलमान से करने के लिए कह रहे थे, लेकिन सलमान ने उनसे कहा कि आप जैसे लोग हिंदुस्तान में सिर्फ दस लाख हैं और मेरे जैसे लोग नब्बे करोड़ हैं। ऐसे डास स्टेप बताइए जिसे हिंदुस्तान का हर आदमी कर सके। स्वय सलमान खान कहते हैं, 'मेरा मानना है कि आप जितना सिपल, स्टाइलिश और गदा नाच सकते हो, नाचो ताकि हर आदमी उस स्टेप को अपना सके।'

सलमान खान अपने कोरियोग्राफर द्वारा निर्देशित स्टेप को हू-ब-हू करने की बजाए उसमें अपना विशेष पुट डाल देते हैं। मशहूर कोरियोग्राफर फराह खान कहती हैं, 'सलमान को डास स्टेप बताकर भूल जाना चाहिए। उनसे उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वह हमारे स्टेप को हू-ब-हू करेंगे। वह डास स्टेप में अपना स्टाइल जोड़कर उसे नया रूप दे देते हैं।' वहीं मुदस्सर खान अपना अनुभव बताते हैं, 'सलमान मुझसे स्टेप पूछते हैं और फिर उसे अपने स्टाइल में पेश करते हैं।

ढिंक चिका.. सलमान

अमूमन दूसरे फिल्म स्टार जहा माइकल जैक्सन जैसे डासिग आइकॉन की तरह डास करने के प्रयास में रहते हैं, वहीं सलमान खान को अपने प्रशसकों की फिक्र रहती है। सलमान खान के निजी कोरियोग्राफर मुदस्सर खान का यह अनुभव इस बात को साबित करता है। मुदस्सर 'रेडी' फिल्म के गीत ढिंक-चिका.. के लिए एक बेहद फास्ट स्टेप सलमान से करने के लिए कह रहे थे, लेकिन सलमान ने उनसे कहा कि आप जैसे लोग हिंदुस्तान में सिर्फ दस लाख हैं और मेरे जैसे लोग नब्बे करोड़ हैं। ऐसे डास स्टेप बताइए जिसे हिंदुस्तान का हर आदमी कर सके। स्वय सलमान खान कहते हैं, 'मेरा मानना है कि आप जितना सिपल, स्टाइलिश और गदा नाच सकते हो, नाचो ताकि हर आदमी उस स्टेप को अपना सके।'

सलमान खान अपने कोरियोग्राफर द्वारा निर्देशित स्टेप को हू-ब-हू करने की बजाए उसमें अपना विशेष पुट डाल देते हैं। मशहूर कोरियोग्राफर फराह खान कहती हैं, 'सलमान को डास स्टेप बताकर भूल जाना चाहिए। उनसे उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वह हमारे स्टेप को हू-ब-हू करेंगे। वह डास स्टेप में अपना स्टाइल जोड़कर उसे नया रूप दे देते हैं।' वहीं मुदस्सर खान अपना अनुभव बताते हैं, 'सलमान मुझसे स्टेप पूछते हैं और फिर उसे अपने स्टाइल में पेश करते हैं।

सगीत जगत का नया सितारा

Jun 01,

'बिन बुलाए बाराती' फिल्म के गीत शीला के ठुमके.. से प्लेबैक सिगिग में कदम रखने वाली लखनऊ की अनुपमा के लिए सगीत न सिर्फ शौक बल्कि उनका पैशन भी है। वैसे अनुपमा उत्तर प्रदेश में असिस्टेंट कमिश्नर सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट, स्टेट के पद पर सेवारत हैं। इतने ऊंचे ओहदे की जिम्मेदारियों के बीच सगीत के लिए समय किस प्रकार निकाल पाती हैं? इस सवाल पर अनुपमा कहती हैं, 'मेरा जीवन बड़ा अनुशासित है। मैं रोजाना नियमपूर्वक एक-डेढ़ घटा रियाज करती हूं। एक छोटा बेटा है मेरा। उसकी जिम्मेदारी के साथ ही ऑफिस से जुड़ी जिम्मेदारिया भी तय समय में निपटाती हूं और रियाज के लिए भी समय निकालती हूं।' गौरतलब है कि अनुपमा भले ही बॉलीवुड में पहुंचकर सुर्खिया बटोर रही हैं, पर उनका परिवार ग्लैमर व‌र्ल्ड से काफी दूर है। अनुपमा के पति अनुराग सिह युवा राजनीतिज्ञ हैं, तो उनकी मा सुशीला सरोज मोहनलालगज, लखनऊ से सासद हैं। अनुपमा ने जब प्लेबैक सिगिग की ख्वाहिश जाहिर की तो पति और परिवार ने उनका पूरा साथ दिया।

भातखंडे विश्वविद्यालय से सगीत विशारद अनुपमा को सगीत का शौक बचपन से ही था। ऐसे में सगीत को कॅरियर बनाने के बजाय उन्होंने सरकारी सेवा को क्यों चुना? इस पर अनुपमा जवाब देती हैं, 'मेरे घर का माहौल ही कुछ ऐसा था। पिता आईपीएस थे। वहीं परिवार के अन्य सदस्य भी सरकारी नौकरियों में ऊंचे ओहदे पर थे। मैंने भी पढ़ाई और शौक दोनों को अलग रखा था। सगीत मेरा बचपन का शौक है। सरकारी सेवा में आने के बाद भी मेरे दिल में प्लेबैक सिगिग करने की हमेशा से ख्वाहिश थी। 'बिन बुलाए बाराती' से यह ख्वाहिश पूरी हो गई। इससे पहले मेरा म्यूजिक एलबम 'अर्श' रिलीज हो चुका है। जिसके गीतकार हैं फैज अनवर।'

शीला के ठुमके.. आइटम साग है, पर अनुपमा की पसद अलग है। लता मगेशकर उनकी फेवरेट गायिका है, तो आज जाने की जिद न करो.. पसदीदा साग। आज के दौर के गायकों में श्रेया घोषाल उनकी फेवरेट सिगर हैं। अनुपमा कहती हैं, मुझे सॉफ्ट म्यूजिक पसद हैं, पर जब शीला के ठुमके.. गीत का ऑफर आया, तो मैंने उसे चुनौती के रूप में लिया। खुशी है कि लोगों को यह गीत पसद आ रहा है।'

सगीत जगत का नया सितारा

Jun 01,

'बिन बुलाए बाराती' फिल्म के गीत शीला के ठुमके.. से प्लेबैक सिगिग में कदम रखने वाली लखनऊ की अनुपमा के लिए सगीत न सिर्फ शौक बल्कि उनका पैशन भी है। वैसे अनुपमा उत्तर प्रदेश में असिस्टेंट कमिश्नर सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट, स्टेट के पद पर सेवारत हैं। इतने ऊंचे ओहदे की जिम्मेदारियों के बीच सगीत के लिए समय किस प्रकार निकाल पाती हैं? इस सवाल पर अनुपमा कहती हैं, 'मेरा जीवन बड़ा अनुशासित है। मैं रोजाना नियमपूर्वक एक-डेढ़ घटा रियाज करती हूं। एक छोटा बेटा है मेरा। उसकी जिम्मेदारी के साथ ही ऑफिस से जुड़ी जिम्मेदारिया भी तय समय में निपटाती हूं और रियाज के लिए भी समय निकालती हूं।' गौरतलब है कि अनुपमा भले ही बॉलीवुड में पहुंचकर सुर्खिया बटोर रही हैं, पर उनका परिवार ग्लैमर व‌र्ल्ड से काफी दूर है। अनुपमा के पति अनुराग सिह युवा राजनीतिज्ञ हैं, तो उनकी मा सुशीला सरोज मोहनलालगज, लखनऊ से सासद हैं। अनुपमा ने जब प्लेबैक सिगिग की ख्वाहिश जाहिर की तो पति और परिवार ने उनका पूरा साथ दिया।

भातखंडे विश्वविद्यालय से सगीत विशारद अनुपमा को सगीत का शौक बचपन से ही था। ऐसे में सगीत को कॅरियर बनाने के बजाय उन्होंने सरकारी सेवा को क्यों चुना? इस पर अनुपमा जवाब देती हैं, 'मेरे घर का माहौल ही कुछ ऐसा था। पिता आईपीएस थे। वहीं परिवार के अन्य सदस्य भी सरकारी नौकरियों में ऊंचे ओहदे पर थे। मैंने भी पढ़ाई और शौक दोनों को अलग रखा था। सगीत मेरा बचपन का शौक है। सरकारी सेवा में आने के बाद भी मेरे दिल में प्लेबैक सिगिग करने की हमेशा से ख्वाहिश थी। 'बिन बुलाए बाराती' से यह ख्वाहिश पूरी हो गई। इससे पहले मेरा म्यूजिक एलबम 'अर्श' रिलीज हो चुका है। जिसके गीतकार हैं फैज अनवर।'

शीला के ठुमके.. आइटम साग है, पर अनुपमा की पसद अलग है। लता मगेशकर उनकी फेवरेट गायिका है, तो आज जाने की जिद न करो.. पसदीदा साग। आज के दौर के गायकों में श्रेया घोषाल उनकी फेवरेट सिगर हैं। अनुपमा कहती हैं, मुझे सॉफ्ट म्यूजिक पसद हैं, पर जब शीला के ठुमके.. गीत का ऑफर आया, तो मैंने उसे चुनौती के रूप में लिया। खुशी है कि लोगों को यह गीत पसद आ रहा है।'

बॉलीवुड में बैक श्रीदेवी

Jun 01, 08:22 pm

चर्चा थी कि श्रीदेवी 'मिस्टर इंडिया' के सीक्वल से फिल्मों में वापसी करेंगी, पर योजना बदल गई। अब वह 'इंग्लिश विग्लिश' से फिल्मों में लौटने जा रही हैं। एड मैन आर. बाल्की की पत्नी गौरी शिदे की बतौर निर्देशक यह पहली फिल्म है, पर श्रीदेवी को उन पर पूरा भरोसा है। सात जुलाई से फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो जाएगी :

14 साल बाद आपने फिल्म स्वीकार की है। कोई खास वजह?

इसका श्रेय जाता है स्क्रिप्ट और डायरेक्टर को। मुझे इसकी स्क्रिप्ट बेहद पसद आई। उम्मीद है फिल्म बेहतरीन बनेगी। हमने कॉस्ट्यूम और लुक पर काम शुरू भी कर दिया है। साड़िया सलेक्ट की जा चुकी हैं।

गौरी शिदे आपकी पहली महिला निर्देशक होंगी?

हा, यह सच है। मैंने इससे पहले किसी महिला निर्देशक के साथ काम नहीं किया। जब मैं पहली बार उनसे मिली थी, तो हमारे बीच बेहद पॉजिटिव एनर्जी थी।

आपने अब तक अनेक फिल्मों में जोरदार परफॉरमेंस दी है..?

मैंने वह किया जो मेरे डायरेक्टर्स ने करने को कहा। साथ ही मैं अपने प्रयासों में ईमानदार रही। अपने काम को देखकर आज भी मैं आनद से भर उठती हूं।

इतने दिन फिल्मों से दूर रहने पर इंडस्ट्री को कितना मिस किया?

नहीं, मुझे घर पर समय बिताना अच्छा लगा। मैंने अपने बच्चों को पूरा वक्त दिया। वैसे भी मैं एक प्रोड्यूसर की पत्नी हूं, तो फिल्म इंडस्ट्री से दूर किस तरह हो सकती हूं। मैं कभी यह महसूस नहीं किया कि मैं इंडस्ट्री से दूर हो गई हूं।

आप काफी दुबली लग रही हैं?

क्या यह गलत है? मैं छरहरी और स्वस्थ रहना चाहती हूं। मेरी बेटिया भी स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग हैं। अब तो बोनी भी स्वस्थ खानपान की आदत अपनाने लगे हैं।

दोबारा कैमरे के सामने आने को लेकर कैसा महसूस करती हैं?

हा, काफी लबे समय से मैंने कैमरा फेस नहीं किया है। मैं नर्वस भी हूं और उत्साहित भी। मेरे पति और बच्चे भी मेरी वापसी को लेकर काफी उत्साहित हैं।

क्या आप अपनी बेटियों को बॉलीवुड से दूर रखना चाहेंगी। यह लाइन काफी कठिन है?

इससे फर्क नहींपड़ता कि आप किस प्रोफेशन में हैं। आपको कठिन परिश्रम करना ही पड़ेगा। जीवन में कोई भी चीज आसानी से नहीं मिलती।

लास्ट शॉट

वर्ष 2004 में रिलीज 'मेरी बीवी का जवाब नहीं' श्रीदेवी की आखिरी प्रदर्शित फिल्म थी। हालाकि यह फिल्म रिलीज के काफी पहले 90 के दशक में शूट की गई थी। 1997 में 'जुदाई' फिल्म के लिए श्रीदेवी ने आखिरी बार शूटिंग की थी।

बॉलीवुड में बैक श्रीदेवी

Jun 01, 08:22 pm

चर्चा थी कि श्रीदेवी 'मिस्टर इंडिया' के सीक्वल से फिल्मों में वापसी करेंगी, पर योजना बदल गई। अब वह 'इंग्लिश विग्लिश' से फिल्मों में लौटने जा रही हैं। एड मैन आर. बाल्की की पत्नी गौरी शिदे की बतौर निर्देशक यह पहली फिल्म है, पर श्रीदेवी को उन पर पूरा भरोसा है। सात जुलाई से फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो जाएगी :

14 साल बाद आपने फिल्म स्वीकार की है। कोई खास वजह?

इसका श्रेय जाता है स्क्रिप्ट और डायरेक्टर को। मुझे इसकी स्क्रिप्ट बेहद पसद आई। उम्मीद है फिल्म बेहतरीन बनेगी। हमने कॉस्ट्यूम और लुक पर काम शुरू भी कर दिया है। साड़िया सलेक्ट की जा चुकी हैं।

गौरी शिदे आपकी पहली महिला निर्देशक होंगी?

हा, यह सच है। मैंने इससे पहले किसी महिला निर्देशक के साथ काम नहीं किया। जब मैं पहली बार उनसे मिली थी, तो हमारे बीच बेहद पॉजिटिव एनर्जी थी।

आपने अब तक अनेक फिल्मों में जोरदार परफॉरमेंस दी है..?

मैंने वह किया जो मेरे डायरेक्टर्स ने करने को कहा। साथ ही मैं अपने प्रयासों में ईमानदार रही। अपने काम को देखकर आज भी मैं आनद से भर उठती हूं।

इतने दिन फिल्मों से दूर रहने पर इंडस्ट्री को कितना मिस किया?

नहीं, मुझे घर पर समय बिताना अच्छा लगा। मैंने अपने बच्चों को पूरा वक्त दिया। वैसे भी मैं एक प्रोड्यूसर की पत्नी हूं, तो फिल्म इंडस्ट्री से दूर किस तरह हो सकती हूं। मैं कभी यह महसूस नहीं किया कि मैं इंडस्ट्री से दूर हो गई हूं।

आप काफी दुबली लग रही हैं?

क्या यह गलत है? मैं छरहरी और स्वस्थ रहना चाहती हूं। मेरी बेटिया भी स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग हैं। अब तो बोनी भी स्वस्थ खानपान की आदत अपनाने लगे हैं।

दोबारा कैमरे के सामने आने को लेकर कैसा महसूस करती हैं?

हा, काफी लबे समय से मैंने कैमरा फेस नहीं किया है। मैं नर्वस भी हूं और उत्साहित भी। मेरे पति और बच्चे भी मेरी वापसी को लेकर काफी उत्साहित हैं।

क्या आप अपनी बेटियों को बॉलीवुड से दूर रखना चाहेंगी। यह लाइन काफी कठिन है?

इससे फर्क नहींपड़ता कि आप किस प्रोफेशन में हैं। आपको कठिन परिश्रम करना ही पड़ेगा। जीवन में कोई भी चीज आसानी से नहीं मिलती।

लास्ट शॉट

वर्ष 2004 में रिलीज 'मेरी बीवी का जवाब नहीं' श्रीदेवी की आखिरी प्रदर्शित फिल्म थी। हालाकि यह फिल्म रिलीज के काफी पहले 90 के दशक में शूट की गई थी। 1997 में 'जुदाई' फिल्म के लिए श्रीदेवी ने आखिरी बार शूटिंग की थी।

अमेरिकी शेयर बाजारों में रही गिरावट

न्यूयार्क। अमेरिकी शेयर बाजार लगातार चार दिनों तक तेजी के बाद बुधवार को रोजगार और विनिर्माण के कमजोर आंकड़ों के चलते गिरावट के साथ बंद हुए।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक रोजगार संबंधी सेवाएं प्रदान करने वाली ऑटोमेटिक डेटा प्रोसेसिंग इंक ने कहा कि मई में निजी क्षेत्र में 38,000 नौकरियां बढ़ी हैं जो कि सितंबर 2010 के बाद का सबसे कम स्तर है।

इंस्टीट्यूट फॉर सप्लाई मैनेजमेंट के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार उम्मीद से काफी कम रहा है। इस क्षेत्र में एक साल की सबसे कम वृद्धि हुई है।

औद्योगिक सूचकांक डाउ जोंस 147.85 अंक [1.18 प्रतिशत] गिरकर 12,421.94 अंक पर बंद हुआ। वहीं स्टैण्डर्ड एण्ड पुअर्स सूचकांक 15.17 अंक [1.13 प्रतिशत] गिरकर 1,330.03 अंक पर बंद हुआ।

अमेरिकी शेयर बाजारों में रही गिरावट

न्यूयार्क। अमेरिकी शेयर बाजार लगातार चार दिनों तक तेजी के बाद बुधवार को रोजगार और विनिर्माण के कमजोर आंकड़ों के चलते गिरावट के साथ बंद हुए।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक रोजगार संबंधी सेवाएं प्रदान करने वाली ऑटोमेटिक डेटा प्रोसेसिंग इंक ने कहा कि मई में निजी क्षेत्र में 38,000 नौकरियां बढ़ी हैं जो कि सितंबर 2010 के बाद का सबसे कम स्तर है।

इंस्टीट्यूट फॉर सप्लाई मैनेजमेंट के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार उम्मीद से काफी कम रहा है। इस क्षेत्र में एक साल की सबसे कम वृद्धि हुई है।

औद्योगिक सूचकांक डाउ जोंस 147.85 अंक [1.18 प्रतिशत] गिरकर 12,421.94 अंक पर बंद हुआ। वहीं स्टैण्डर्ड एण्ड पुअर्स सूचकांक 15.17 अंक [1.13 प्रतिशत] गिरकर 1,330.03 अंक पर बंद हुआ।

Under fire, Pak govt allows journalists to carry arms

Journalists in Pakistan have been allowed to carry small firearms for self-defence following the killing of scribe Syed Saleem Shahzad, Pakistan interior minister Rehman Malik said on Wednesday. Pakistani journalists, like the army, are battling negative forces, Malik said. To ensure their safety, o
rders have been issued to allow journalists to carry small arms for self-defence, he said.

Malik also promised to probe allegations about ISI’s involvement in his abduction. He, however, added the murder could be a “case of personal enmity”.

Shahzad, 40, who worked for an Italian news agency and an online news website, went missing on Sunday. His body was found at Mandi Bahauddin in Punjab province. He disappeared two days after writing that al Qaeda carried out a recent attack on a naval airbase in Karachi to avenge the arrest of naval officials suspected of having links to the terrorist group

Under fire, Pak govt allows journalists to carry arms

Journalists in Pakistan have been allowed to carry small firearms for self-defence following the killing of scribe Syed Saleem Shahzad, Pakistan interior minister Rehman Malik said on Wednesday. Pakistani journalists, like the army, are battling negative forces, Malik said. To ensure their safety, o
rders have been issued to allow journalists to carry small arms for self-defence, he said.

Malik also promised to probe allegations about ISI’s involvement in his abduction. He, however, added the murder could be a “case of personal enmity”.

Shahzad, 40, who worked for an Italian news agency and an online news website, went missing on Sunday. His body was found at Mandi Bahauddin in Punjab province. He disappeared two days after writing that al Qaeda carried out a recent attack on a naval airbase in Karachi to avenge the arrest of naval officials suspected of having links to the terrorist group

Mamata raps cops on road...

Mamata Banerjee stormed out of her black Santro and chided traffic cops twice on her way to Writers’ Buildings on Tuesday for providing her smooth passage by turning the light red the moment her convoy passed a crossing.

“The chief minister has told you several times not to do this. Do not unnecessarily block the path of people to allow her to move freely. She does not want this,” a security officer in Mamata’s convoy told a traffic sergeant moments after she got off her car at the AJC Bose Road-Hospital Road crossing at 11.46am and spoke to him.

The cops at the crossing had stopped vehicular movement towards AJC Bose Road flyover and Hospital Road as Mamata’s convoy approached the crossing down DL Khan Road. Immediately after the convoy crossed the intersection, the police turned the lights red for other cars moving in the same direction.

The sight of the cars stranded around her as she passed the crossing angered Mamata. She stopped her car, rolled down the window and got down. A security officer ran up to her and then towards the policemen at the crossing with Mamata’s message. The convoy resumed its journey at 11.48am.

Two minutes later, Mamata again stopped her car at the Red Road crossing, in front of Fort William, seeing a long queue of vehicles on the lane to the right of the one her convoy was moving along. Policemen had kept her lane clear and stopped moved along the other lane.

Mamata called a policeman, who rushed towards the rolled-down window of the Santro while adjusting his cap and bent down to take orders.

“She asked me to clear the congestion quickly and not make any special arrangement for her convoy,” the officer said later.

The black Santro moved on within 40 seconds and proceeded to Writers’.

With the chief minister insisting on traffic not being disrupted for her movement, the police are struggling to find a way to sanitise her route.

“We have been ordered not to free the road for her like we do for other VVIPs. At times, she automatically gets a green light and does not have to stop at a crossing,” said a senior officer of the traffic department.

Making things even more challenging, Mamata’s office has instructed the police not to relay her position through wireless sets.

“This is to ensure that traffic lights on her way are not altered to ease her passage,” said a senior officer. Hence, the men in uniform can only inform each other about her position over the cellphone.

The traffic control room can contact the nodal officer of the special branch in Mamata’s security team only in an emergency.

“If the chief minister follows a straight route to office it gets easier for us to track her. But the moment she changes her path and goes for a surprise inspection, we lose track of her. It is extremely unsafe but all we can do is send a couple of sergeants to find her,” added the officer.

Mamata raps cops on road...

Mamata Banerjee stormed out of her black Santro and chided traffic cops twice on her way to Writers’ Buildings on Tuesday for providing her smooth passage by turning the light red the moment her convoy passed a crossing.

“The chief minister has told you several times not to do this. Do not unnecessarily block the path of people to allow her to move freely. She does not want this,” a security officer in Mamata’s convoy told a traffic sergeant moments after she got off her car at the AJC Bose Road-Hospital Road crossing at 11.46am and spoke to him.

The cops at the crossing had stopped vehicular movement towards AJC Bose Road flyover and Hospital Road as Mamata’s convoy approached the crossing down DL Khan Road. Immediately after the convoy crossed the intersection, the police turned the lights red for other cars moving in the same direction.

The sight of the cars stranded around her as she passed the crossing angered Mamata. She stopped her car, rolled down the window and got down. A security officer ran up to her and then towards the policemen at the crossing with Mamata’s message. The convoy resumed its journey at 11.48am.

Two minutes later, Mamata again stopped her car at the Red Road crossing, in front of Fort William, seeing a long queue of vehicles on the lane to the right of the one her convoy was moving along. Policemen had kept her lane clear and stopped moved along the other lane.

Mamata called a policeman, who rushed towards the rolled-down window of the Santro while adjusting his cap and bent down to take orders.

“She asked me to clear the congestion quickly and not make any special arrangement for her convoy,” the officer said later.

The black Santro moved on within 40 seconds and proceeded to Writers’.

With the chief minister insisting on traffic not being disrupted for her movement, the police are struggling to find a way to sanitise her route.

“We have been ordered not to free the road for her like we do for other VVIPs. At times, she automatically gets a green light and does not have to stop at a crossing,” said a senior officer of the traffic department.

Making things even more challenging, Mamata’s office has instructed the police not to relay her position through wireless sets.

“This is to ensure that traffic lights on her way are not altered to ease her passage,” said a senior officer. Hence, the men in uniform can only inform each other about her position over the cellphone.

The traffic control room can contact the nodal officer of the special branch in Mamata’s security team only in an emergency.

“If the chief minister follows a straight route to office it gets easier for us to track her. But the moment she changes her path and goes for a surprise inspection, we lose track of her. It is extremely unsafe but all we can do is send a couple of sergeants to find her,” added the officer.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

dg3